भगवत दयाल शर्मा
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भगवत दयाल शर्मा | |
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पद बहाल 8 अक्टूबर 1983 – 14 मई 1984 | |
मुख्यमंत्री | अर्जुन सिंह |
पूर्वा धिकारी | जी पी सिंह (Acting) |
उत्तरा धिकारी | के.एम. चांडी |
पद बहाल 10 जुलाई 1981 – 20 सितम्बर 1983 | |
मुख्यमंत्री | अर्जुन सिंह |
पूर्वा धिकारी | जी पी सिंह (Acting) |
उत्तरा धिकारी | जी पी सिंह (Acting) |
पद बहाल 30 अप्रैल 1980 – 25 मई 1981 | |
मुख्यमंत्री | अर्जुन सिंह |
पूर्वा धिकारी | सी.एम.पूनाचा |
उत्तरा धिकारी | जी पी सिंह (Acting) |
12वें ओड़ीसा के राज्यपाल
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पद बहाल 23 सितम्बर 1977 – 30 अप्रैल 1980 | |
मुख्य मंत्री | नीलमणि राउत्रे |
पूर्वा धिकारी | हरचरण सिंह बराड़ |
उत्तरा धिकारी | सी एम पूनचा |
पद बहाल 1 नवम्बर 1966 – 23 मार्च 1967 | |
राज्यपाल | धर्म वीर |
पूर्वा धिकारी | कार्यालय की स्थापना |
उत्तरा धिकारी | राव वीरेन्द्र सिंह |
जन्म | 26 जनवरी 1918 बेरी, पंजाब |
मृत्यु | 22 फरवरी 1993 (75 वर्ष की आयु में) |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | सावित्री देवी |
बच्चे | 6 |
भगवत दयाल शर्मा (28 जनवरी, 1918 -- 22 फरवरी 1993) हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उन्होने ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ में भी योगदान दिया था। अपने कार्यकर्ताओं के बीच भगवत दयाल शर्मा ‘पण्डितजी’ के नाम से प्रसिद्ध थे। बी. डी. शर्मा 23 सितम्बर, 1977 को उड़ीसा के राज्यपाल बनाये गए थे। इसके बाद वे 1980 से 1984 तक मध्य प्रदेश राज्य के भी राज्यपाल रहे।
जन्म
[संपादित करें]भगवत दयाल शर्मा जी का जन्म 28 जनवरी, 1918 को हरियाणा के झज्जर ज़िले में ‘बेरी’ में हुआ था। उनके पिता का नाम पण्डित मुरारीलाल शर्मा था। भगवत दयाल शर्मा का विवाह सावित्री देवी से हुआ था। उनके तीन बेटे तथा तीन बेटियाँ हैं।
शिक्षा
[संपादित करें]भगवत दयाल शर्मा ने अपनी एम.ए. की डिग्री ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’, उत्तर प्रदेश से ग्रहण की थी। इसके बाद में डी.लिट की उपाधि ‘महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय’, रोहतक से प्राप्त की। वाचन करने और शतरंज खेलने में भगवत दयाल जी की विशेष रुचि थी। इसके अलावा कमज़ोर वर्गों के कल्याणकारी कार्यों को करने में भी उनके रुचि थी।